Saturday, June 9, 2012

बौनों का कोरस

मीडिया में एक प्रथा बेहद प्रचललित है। और वो की जो एक करे वो आप भी करो। देर सबेर जो एक भौंके उसपर आपभी कुछ समय के बाद भौंकना शुरु कर दो। पहले मीडिया बाबा रामदेव के पीछे पड़ा। लेकिन बाबा को मीडिया मैनेज करना आता है। अब मीडिया के बौने बाबा की तारीफ करते नहीं थकते। हर चैनल पर बाबा की तारीफ होती है। लेकिन, मीडिया को लगातार ऐसे फीडर चाहिए जो कुर्सी पर बैठे निठल्लें मोटी तनख्वाह पर मालिक की छाती पर मूंग दलने वाले तथाकथित पत्रकार और आज के दलाल, भ्रष्टाचारी, दारूबाज, लड़कीबाज अपनी बीबीयों से मार खाने वाले ऑफिस की लड़कियों को घूरने वाले और चुगली रस का आनंद लेकर अपने से नीचे काम करने वालों की नौकरी खाने वाले ऐसे तमाम कमीने मालिकों को नए आइडिया देते हैं। 
ऐसे आइडिया जिसमें पत्रकारिता कम और दलाली की बू ज्यादा आती है। पिछले दिनों एक चैनल ने निर्मल बाबा को पहले खूब उछाला। उसके बाद सभी चैनल्स ने बाबा की जमकर खिंचाई की। लेकिन, यहां भी बाबा ही जीत गए। बाबा ने कुत्तों के आगे वोटी डाल दी...और कुत्ते खामोश हो गए। उसके बाद अब खबर मुंबई से है। मुंबई से राधे मां इन दिनों चर्चा में है। वो तो अच्छा है की राधे मां कुछ बोलती नहीं है। और मीडिया को उनके खिलाफ कोई मसाला नहीं मिल रहा है। असल में मीडिया में अक्सर बौने की कोरस गाते हैं। 
ये ठीक है कि समाज को ठगों से जालसाजों से बचाना है। ऐसे पाखंडी बाबाओं की भी जानकारी देनी है। लेकिन, किस शर्त पर। क्या इस शर्त पर की या तो आप हमें मोटा एड दीजिए नहीं तो हम आपको बदनाम करेंगे। आज अगर कोई किसी भी चैवल पर स्टिंग होता है तो वो टेलिकास्ट नहीं होता। क्योंकि जिसका स्टिंग होता है उसे आज दफ्तरों में बुला लिया जाता है। बाकायदा उसे स्टिंग दिखाया जाता है। और फिर दलाली होती है। देश के एक बड़े चैनल ने देश के एक प्रदेश में एक स्टिंग किया। उसे दिखाया भी। उसपर चैनल की टीआरपी आई। लेकिन, कुछ समय के बाद ही उस चैनल पर उस प्रदेश के सीएम का एड और विज्ञापन देखने को मिला। और हां....फिर उस खबर को फॉलोअप भी नहीं किया गया। ठीक इसी तरह से जब कभी भी देश के चैनल कोई खुलासा या बड़ी खबर करते हैं...तो उनके पीछे मकसद अब एक ही होता है। मोटा पैसा कमाना क्योंकि चैनल अब लोगों को शिक्षित या फिर जानकारी देने का माध्यम नहीं है। ये सिर्फ कम समय में ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की मशीन है। जिसमें जितना जल्दी आउटपुट निकलता है और किसी धंधे में नहीं निकलता। औऱ इसी लिए चैनल्स में ऊंची पोस्ट पर बैठे दलाल लगातार ऐसे इनपुट देते रहते हैं जिसमें खबर कम और माल ज्यादा निकले। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता की देश की अर्थव्यवस्था कहां जा रही है। देश के आम आदमी का हाल क्या है। उन्हें दो ही चीज दिखाई देती है अपनी तनख्वाह और ऐश करने की अड्डा। 
ये तथाकथित पत्रकार अपनी गांड खुजाता कहीं भी आपको मिल जाएगा। हर उस प्रैस कांफ्रेस में जहां मुफ्त का मुर्गा और शराब मिल रही हो। हर उस सभा में जहां बकबक करने का पैसा मिलने वाला हो। इन दिनों एक और प्रचलन है। ये मोटे तोंद के पत्रकार अपना एक समूह बना लेते हैं। हर छुट्टी वाले दिन ये सभा रखते हैं। वहां मुर्गा और दारू तो होती ही है जिसका बंदोबस्त कोई लाला या ऐसा आदमी करता है जिसे मीडिया से काम निकलवाना होता है। 
इस तरह से ये हरामखोर पहले तो छुट्टी वाले दिन अपनी बीबीयों से पिटने से बच जाते हैं। दूसरा दूसरे दिन अखबार में इनका कोई बयान अगर छप जाए जो अक्सर छपता नहीं तो उसे पड़ोसी को दिखाकर अपने कालर सीधे कर लेते हैं। 

Monday, May 28, 2012

खेल नहीं साजिश है आईपीएल ?


आईपीएल एक महीने चला औऱ 27 मई की रात खत्म हो गया। इस बीच ग्रीष्मकालीन सत्र भी खत्म हो चला है औऱ अन्ना की हुंकार भी रालेगंज सिद्धी तक ही गूंज कर रह गयी। टीम अन्ना ने गाजियाबाद से दिल्ली तक जमकर हो हल्ला किया। संसद में कितने नेता ऐसे हैं जिनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए। ऐसे कौन से नेता है जिनपर जांच बैठानी चाहिए। लेकिन, आईपीएल के चौके छक्के में सारी मांगे उड़ती रही। यहां तक की एक साथ साढ़े सात रुपये प्रैट्रोल पर बढ़ा दिए गए, जिसे भी लोग आईपीएल के नशे में गले से उतार गए। जिसके बाद एक आधा जगह एक दो दिन धरना प्रदर्शन जरूर हुआ। पर वो भी आईपीएल के फाइनल में धुल गया।
खैर, अब तो आईपीएल खत्म हो गया। शाहरुख ने भी अपने किए पर माफी मांग ली जैसे उन्होंने देश पर कोई अहसान कर दिया। उन्होंने बड़े ही अदब से कहा की मैं अपने किए पर माफी मांगता हूं। और लोगों ने भी भी शाहरुख को माफ कर दिया। इसे अपने देश के लोगों का बड़प्पन समझे या मजबूरी ये जरूर शोध का विषय हो सकता है। क्योंकि दोनों ही हाल में देश का आम आदमी अपने आपको इस मामले में ठगा से महसूस करेगा ही करेगा। खैर, शाहरुख ने तो माफी मांग ली है।
वहीं इससे पहले देश के प्रधानमंत्री ने भी यूपीए-2 सरकार के तीन साल पूरे होने पर एक रात्रि भोज का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने सरकार की कामयाबी का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। औऱ इस मौके पर पहली बार मुलायाम सिंह प्रधानमंत्री के साथ मंच पर खड़े दिखाई दिए। जिसके बाद यूपीए-2 सरकार के ना सिर्फ कंधों में एक नयी ताजगी दिखाई दी बल्कि मैडम के चेहरे पर भी ऐसी मुस्कान दिखी की आम आदमी की घिग्गी बंध गयी। अपने पजामे का नाड़ा बांधकर हर रोज ये कसम उठाने वाला आम आदमी की इस बार सरकार को मजा चखा दूंगा दूसरे दिन से ही अपना नाड़ा बगैर किसी लागलपेट के बांधता नजर आया। क्योंकि सरकार के साथ अब ममता कम और मुलायाम की साईकिल ज्यादा नजर आ रही थी।
इसी बीच पहले मध्याविधि चुनावों की घोषणा करते टेलिविजन इस रात्रि भोज के बाद घिघियाते दिखे। और टेलिविजन के तमाम धुरंधर अपने अपने कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर स्टोरी फोड़ने की कोशिश में अपना आपा खो बैठे। इस बीच खबर मिली की प्रधानमंत्री ने भी महंगाई पर नया प्रस्ताव लोगों को दिया है। उन्होंने लोगों से कहा है कि वो महंगाई को अपने हिसाब से नियंत्रित करे। अपनी जेब देखकर खर्च करें। क्योंकि सरकार के पास कोई जादु नहीं है। प्रधानमंत्री ने ये भी मान ही लिया की महंगाई है। लेकिन, महंगाई कम करेगा कौन। मैं अक्सर अपने दादा से लाल बहादुर शास्त्री के बारे में सुनता था। वो अक्सर कहते थे। बेटा, शास्त्री जी होते तो महंगाई नहीं होती। हम पूछते दादा जी क्यों वो क्या कर लेते। तो वो कहते थे। बेटा शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। उनका कहना था कि जहां कही भी खाली जमीन दिखे वहां अनाज उगा दो। ये जो इंडिया गेट के बड़े पार्क हैं ना यहां भी शास्त्री जी ने अनाज उगवा दिया था। वो जहां कहीं भी खाली जगह देखते वहीं अनाज उगाने की बात कहते थे। लेकिन, आज मामला उलटा है। आज देश का प्रधानमंत्री कहता है जहां खाली जगह दिखे वहां बिल्डिंग बना दो। यहां विदेश से आउटसोर्स आयेगा। यहां युवा नौकरी पायेगा। और विदेश से पैसा आयेगा। उसी विदेशी जमीन से जो खुद कर्जें में हैं। यानी आज हमारे नेता उस जमीन पर खेती कर रहे हैं जो असल में है ही नहीं। ऐसे में महंगाई कम कैसे होगी। ये कहना मुश्किल है। लेकिन, हां...इतना जरूर है कि जब कभी भी आम जनता ज्यादा परेशान होया तो आईपीएल करवा दो या फिर कॉमनवेल्थ और कुछ और ना हो तो कोई और खेल करवा दो। क्योंकि कहा भी जाता है जब भूख भूलानी हो तो भजन गा। और भजन नहीं गा सकता तो सो जा।  

Monday, April 30, 2012

गोश्त


सड़क पर बिकता गोश्त
कभी कटा हुआ कभी लटका हुआ
और कभी
कई रंगों में लिपटकर इशारा करता हुआ।
दोनों ही तरह का गोश्त करता है इंतजार
एक किसी के पेट की भूख शांत करने का
और दूसरा किसी के दिमाग की।
दोनों ही भूख के बदले गोश्त के हिस्से में आते हैं
निशान दांतों के।
गोश्त कटने से पहले टटोला जाता है।
अपनी भूख और हवस के हिसाब से तोला जाता है।
कभी भींचकर तो कभी टांग उठाकर परखा जाता है।
गर्दन काटने से पहले कलमा तक पढ़ा जाता है।
और बदन से कपड़े उताराने से पहले गंडा ताबीज अलग किए जाते हैं।
दोनों ही बार दिमाग में एक ही तूफान होता है जल्दी निपटाने
और आराम से पैर सीधे कर सोने का इंतजाम देखने का।




Monday, April 16, 2012

मोटापा कम करने के उपाय


मैं अक्सर ब्लॉग पर देखता हूं कि तरह तरह के उपाय लोग अक्सर एक दूसरे से बांटते हैं। उनमें सबसे ज्यादा मोटापा कम करने के उपाय है। ये अजीब सी बात है। आज से 15-20 साल पहले लोग पूछा करते थे कि हम मोटे कैसे हो सकते हैं। जबकि आज लोग पूछते हैं कि हम पतले कैसे हो सकते हैं। अब में और तब में बेशक बहुत अंतर आ गया है। हमारा रहन सहन पूरी तरह से बदल गया है। हमारी खाने पीने की आदात बदल गयी है। औऱ बदल गयी है जीवनशैली। हालांकि बाजार में इन दिनों मोटापा कम करने के हजारों दवा मौजूद हैं। इनमें से आधी से ज्यादा सिर्फ खट्टे मीठे चूर्ण हैं। जिन्हें खाने के बाद पता चलता है कि हम ठगे गए। खैर ये तो बाजार की बात है। जिसकी ज्यादा डिमांड होती है वो बाजार में बेचा जाता है। मोटापा कम करने के लिए हम अक्सर दवाओं की ओर भागते हैं। लेकिन, कभी अपनी दिनचर्या को ठीक करने की बात नहीं सोचते। मुझे याद है। एक समय था जब लोग सुबह पार्कों में जाकर व्ययाम किया करते थे। लोगों का खानपान बेहद संतुलित था। लेकिन, आज चाइनिंग फास्ट फूड और सोश ने ना सिर्फ बच्चों की बल्कि बड़ों के भी पेट खराब किए हुए हैं। इसमें बाजार में मिलने वाला लाल सोश जो असल में सड़े कद्दू का होता है औऱ सोया सोश जो काले रंग का होता है और चाउमीन में डला होता है। सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। लेकिन, हम इन्हें लगातार खा रहे हैं औऱ पेट की बैंड बजा रहे हैं। अब चलिए मैं आपको कुछ ऐसे उपाय बताता हूं जो मोटापा कम करने में सहायत सिद्ध हो सकते हैं। और आपकी सेहत भी ठीक कर सकते हैं।

पहला उपाय ये है कि आपको आलास छोड़ना पड़ेगा और समय से विस्तर।

सुबह जल्दी उठने की आदात डाले औऱ सैर पर निकले।

कम से कम एक घंटा सैर करें और हल्का व्ययाम करें।

हो सके तो तेज तेज चले।

सुबह उठकर गर्म पानी पीये कम से कम दो गिलास।

पेट साफ होने के बाद एक घंटा कुछ ना खाए।

नीबूं पानी पीये अपनी सेहत हिसाब से। नमकीन या मीठा।

इसमें शहद मिलाया जाए तो मोटापा तेजी से कम होता है। लेकिन, पहले डाक्टर की सलाह जरूर ले लें।

इसके अलावा नमक कम खाये।

पत्ता गोभी खाये खूब बढ़िया उबालकर।

तुलसी के पत्तो का रस 10 बूंद और दो चम्मच शहद एक ग्लास पानी मे मिलाकर कुछ दिन पीने से मोटापा कम होता है !

तली -भुनी व मैदे से बनी चीजे न खाये। ताजी सब्जियां व ताजे फल लें।

खाने के बाद एक कप तेज गरम पानी घूंट लेकर पीए। मोटापा कम होगा।

अनामिका अंगुली के टौप भाग पर अंगूठे से दबाकर कम से कम 5 मिनट तक एक्यूप्रेशर करे। दिन में दो या तीन बार ऐसा कर सकते हैं। शरीर का वेट सन्तुलित रहेगा।

इसके अलावा अगर आप शराब का सेवन करते हैं तो इसे पीना छोड़े। अगर नहीं छोड़ सकते तो कम कर दें। और साथ ही इसके साथ तली भुनी चीजे खाना बंद करें। इसकी जगह सलाद खाए।

अगर आप मांसाहारी है तो आप। रोस्टेड चिकन खाये। वो भी एक या दो पीस और हां...इस दिन एक घंटा ज्यादा व्यायाम करना ना भूले। क्योंकि सेहत भी तो आपकी ही है।