Monday, November 28, 2011

चेहरे

ऑफिस में पहुंचते ही आज मुझे अचानक बड़ा अजीब सा महसूस हुआ। दो दिन रिपोर्टर और वीडियो एडिटर एक ऐसी लड़की का वीडियो डाउनलोड करने में मशगूल थे...जिसने विदेश की कई ब्लू फिल्मों में काम किया है। इस लड़की की देश के बिग बॉस में एंट्री हुई थी। इसपर ऑफिस के एक विभाग को कार्यक्रम बनाना था। ऐसे में इस लड़की की वीडियो और फोटो को ये सभी लोग बड़ी ही ईमानदारी से डॉउनलोड कर रहे थे औऱ निहार रहे थे। ये ऑफिस में खुल्लम खुल्ला हो रहा था। यानी आज ऑफिस में उन इस मॉडल के तो पता नहीं कितने कपड़े उतरे थे...लेकिन ऑफिस के कुछ लोगों की नंगनियत खुलकर दिखाई दे रही थी।

ऐसा इसलिए भी था...क्योंकि ये लोग ज्यादातर काम में मशरूफ रहते थे औऱ सिर्फ काम की ही बाते करते नजर आते थे। लेकिन इस खबर के साथ एक साथ इतने लोगों का क्रेज मेरे लिए किसी पहेली से कम नहीं था। हालांकि इससे पहले भी मैं ऐसे स्थितियों से दो चार हुआ हूं। जब कभी भी किसी भी लड़की के एमएमएस की कहानी या खबर ऑफिस में आती है..तो उसकी फुटेज भी आती है...उस फुटेज को ऑफिस का हर कर्मचारी बड़ी ही शालीनता से देखता है...और ये सिद्ध करने में कतई कोर कसर नहीं छोड़ता की उसका इस खबरे से कितना लगाव है। ऑफिस में एमएमएस को बड़ी सिद्धत से देखा औऱ सुना जाता है...इसमें फिर चाहे काफी एडिटर हो या फिर एडिटर सभी को एमएमएस देखने की दिलचस्पी होती है...और हो भी भला क्यूं नहीं जब माल फ्री का हो तो उसपर हाथ भला कौन नहीं साफ करना चाहेगा। कुछ ऐसा ही इस मॉडल के साथ भी हुआ। ऑफिस में जमकर लोग इसके फोटो देख रहे थे।

Saturday, November 26, 2011

जिंदगी

कभी कभी लगता है जैसे ये जिंदगी होने या ना होने के बीच भटक रही है

कभी कभी ये भी लगता है कि जिंदा होने या ना होने के बीच का अंतर ही जिंदगी है।

फिर लगता है कि मासूम बच्चों की किलकारी

घर में उनका कलरव

घर आने पर उनका खुली बाजूओं से छूना ही जिंदगी है।

सुबह से शाम के बीच ऑफिस में जूझना

अपने को जिंदा रखना

या फिर अपने कंपीटिटरों को पछाड़ देना

शायद यहीं जिंदगी है।

फिर अहसास होता है...

एक दिन मैं भी हारूंगा।

हार जाउंगा किसी दौड़ में

क्योंकि उम्र की ढलान मैं कब तक रोक पाउंगा

कब तक मैं दौड़ मैं बना रहूंगा।

एक दिन मैं कम से कम सांस लेने के लिए तो रुकूंगा ही।

फिर उसके बाद

शायद थक कर बैठा तो बैठा ही रहूंगा।

फिर उसके बाद...

खामोश सी सड़क

सड़क पर मुसाफिर जो चला जा रहा है

किसी अज्ञात मंजिल की ओर

बगैर थके बगैर रूके लेकिन कहा कब तक