Monday, March 14, 2022

पंजाब में चला ‘आम आदमी’ का झाड़ू , बही बदलाव की बयार

 

 

पंजाब में चला आम आदमीका झाड़ू , बही बदलाव की बयार

-लोगों ने कॉमेडियन भगवंत सिंह मान को लिया गंभीरता से

-मान ने कहा अब पंजाब गांवों-मोहल्लों से चलेगा, महलों-हवेलियों से नहीं

 

केजरीवाल-भगवंत मान की जोड़ी पर पूरा भरोसा जताते हुए पंजाब के आम आदमी ने विधान सभा चुनाव 2022’ में आम आदमी पार्टी(आप) को 92 सीटों के ऐतिहासिक बहुमत के साथ एक अप्रत्याशित जीत दिलवाई है।


1966 में हरियाणा के अस्तित्व में आने के बाद 56 साल के इतिहास में आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटें जीत कर आज तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की है। पंजाब में अन्तर्कलह की मारी कांग्रेस मात्र 18 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। पंजाब के पारंपरिक राजनैतिक दल शिरोमणि अकाली दल को पंजाब क ी  जनता ने पूरी तरह  नकारते हुए अकाली-बसपा के बेमेल गठबंधन को केवल 4 सीटें ही दी। वहीं पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री महाराजा कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस, भाजपा और शिरोमणि अकाली दल(संयुक्त)की चुृनावी खिचड़ी ने भी केवल 2 सीटों पर सिमट कर, पंजाब में अपना जनाधार पूरी तरह खो दिया।

1992 में आतंकवाद के दौर में कांग्रेस ने पंजाब में 87 सीटें जीतकर सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड दर्ज किया था, मगर उस समय शिरामणि अकाली दल ने चुनावों का बहिष्कार किया था। उसके बाद 1997 में अकाली भाजपा गठबंधन ने मिलक र 97 सीटें जीती थी। अकाली दल को 75 व भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली थी।

इस बार यानी 2022 में कुल वोट प्रतिशत की बात करें तो इसमें भी आम आदमी पार्टी ने 44 प्रतिशत वोट हासिल कर सबको चौंका दिया है। दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस को इस बाद 23 प्रतिशत और अकाली बसपा गठबंधन को 18.4 प्रतिशत वोट मिले हैं। यदि कुल वोट प्रतिशत की बात करें तो पंजाब में इस बार 2017 के मुकाबले लगभग 5 प्रतिशत मतदान कम हुआ। 2017 में जहां 77.20 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया वहीं 2022 में 71.95 प्रतिशत लोगों ने मतदान में भाग लिया।

इस बार पंजाब में आम आदमी पार्टी की सुनामी का अंदाजा इसी बात बात से लगाया जा सकता है कि 1920 में स्थापित हुई पार्टी शिरोमणि अकाली दल केवल 3 सीटें जीत कर तीसरे नंबर पर पहुंच गई। शिरोमणि अकाली दल के भीष्म पितामह 94 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल भी इस बार अपनी साख नहीं बचा पाए और लंबी से शायद अपना आखिरी चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह खुड्डिया ने अकाली सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल को 66313 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी जलालाबाद विधानसभा क्षेत्र से अपनी सीट नहीं बचा पाए। सुखबीर बादल को आम आदमी पार्टी के लॉ गे्रजुएट जगदीप कंबोज गोल्डी ने 30930 वोटों से हराया। भगवंत मान ने संगरूर जिले की धुरी विधान सभा सीट से कांग्रेस के दलबीर सिंह गोल्डी को 58206 रिकार्ड वोटों से हराया।

 

 

विभिन्न क्षेत्रों में पार्टियों को सीटें (कुल सीटें-117)

मालवा कुल सीटें     69

आम आदमी पार्टी       66

कांग्रेस                02

शिअद                01

 

माझा  कुल सीटें      25

आम आदमी पार्टी     16

कांग्रेस               07

शिअद                01

भाजपा              01

 

दोआबा कुल सीटें     23 

आम आदमी पार्टी     10

कांग्रेस              09

शिअद             01

बसपा             01

भाजपा            01

आजाद            01

 

 

अपनी कॉमेडी वीडियो में कहा था यदि ज्यादा नहीं पढ़ सका तो चुनाव लडक़र विधायक, मंत्री बन जाउंगा

कॉमेडियन से राजनेता बने भगवंत मान ने अपने एक पुराने कॉमेडी वीडिया में कहा था कि यदि मैं पढ़ लिख गया तो इंजीनियर डाक्टर बनूंगा और यदि ज्यादा नहीं पढ़ सका तो चुनाव लडक़र विधायक मंत्री तो बन ही जाउंगा। भगवंत मान की यही बात सच हुई। उन्होंने अपनी पढ़ाई बी-काम फस्र्ट इयर के बाद छोडक़र ही पहले कॉमेडी और उसके बाद राजनीति में हाथ आजमाए।

 

भगवंत मान का जन्म 17 अक्तूबर 1973 को पंजाब के  संगरूर जिले के संतोजत गांव में एक स्कूल टीचर महिंदर सिंह के घर हुआ। भगवंत मान की मां हरपाल कौर का कहना है कि वो बचपन से ही अपनी कामेडी से सभी को खूब हंसाता था। 1992 में मान ने संगरूर के शहीद उधम सिंह गवर्नमेंट कालेज में बी.कॉम में दाखिला लिया मगर बीच में ही पढ़ाई छोड़ कॉमेडी को ही अपना कैरियर बना लिया। भगवंत मान ने एक के बाद एक कॉमेडी की 35 एलबम रिलीज की। भगवंत मान अपने प्रत्येक कॉमेडी एलबम में कोई ना कोई गंभीर संदेश अवश्य देते रहे। चाहे वे सरकारी विभागों या राजनीति में भ्रष्टाचार हो समाज में फैली कुरीतियां हों या फिर युवाओं में बेरोजगारी या फिर नशे का मुद्दा हो। उनकी कॉमेडी एलबम कुल्फी गर्मा गरमऔर मिठियां मिर्चां  ने  भगवंत मान को रातों रात स्टार बना दिया। इसके अलावा मान ने कई हिंदी पंजाबी फिल्मों टीवी पर चलने वाले कॉमेडी शोज में भी अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया। मान ने एक स्टैंडअप कामेडियन और राजनेताओं जोक्स व कटाक्ष से अपनी एक अलग पहचान बनाई। राजनेताओं पर कटाक्ष करते करते भगवंत मान ने 1992 पंजाब के पूर्व मंत्री व प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत बादल द्वारा अकाली दल से अलग होकर बनाई गई पंजाब पीपल्स पार्टी(पीपीपी)से अपना  राजनैतिक कैरियर शुरु किया।

उन्होंने 2012 में विधान सभा चुनाव भी लड़ा मगर हार गए। 2014 में भगवंत मान आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए और अकाली दल के नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के विरुद्ध संगरूर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और मान सुखदेव सिंह ढींढसा को 2 लाख से अधिक मतों से हराकर पहली बार सांसद बने। 2017 में मान ने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ जलालाबाद से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा मगर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 2019 में भगवंत मान ने एक बाद फिर से संगरूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंद्वी  कांग्रेस के केवल सिंह ढिल्लों को एक लाख से अधिक मतों से हराया। कॉमेडी और लिखने के साथ साथ भगवंत मान को स्पोर्ट्स का भी बहुत शौक है। वह वालीबाल के भी खिलाड़ी रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें एनबीए, हॉकी, फुटबाल और क्रिकेट के मैच देखने का भी बहुत शौक है।

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पहली हरी कलम बेरोजगारी दूर करने के लिए चलाएंगे

अपनी पार्टी की इस ऐतिहासिक जीत के बाद भगवंत सिंह मान ने लोगों को देश-विदेश में बसे सभी पंजाबियों का धन्यवाद किया और कहा कि आपने अपनी जिम्मेदारी बेहद बखूबी के साथ निभाई है, अब जिम्मेदारी निभाने की बारी हमारी है। मान ने लोगों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि हमारी नीयत अच्छी है, इसीलिए पंजाब के लोगों ने हम पर भरोसा किया है। मुझपर यकीन रखें, एक महीने में बदलाव दिखने लगेगा। अब आपको सरकारी दफ्तरों में बाबुओं के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। अब सरकारी बाबू आपके गांवों व मोहल्लों के चक्कर लगाएंगे और आपके घर पहुंचकर आपका काम करेंगे।

 

मान ने कहा कि मुझे सबसे ज्यादा फिक्र बेरोजगारी की है। बेरोजगार युवक मजबूर होकर नशे में डूब रहे हैं और विदेश जा रहे हैं। महंगी उच्च शिक्षा और रोजगार के अभाव के  कारण पंजाब का पैसा और प्रतिभा का पलायन हुआ है। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद हम पहले दिन ही अपनी हरी कलम बेरोजगारी दूर करने के लिए चलाएंगे। हम युवाओं के हाथ से टीका छीनकर टिफिन पकड़ाएंगे और उन्हें पंजाब में ही शिक्षा व रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराएंगे। मान ने कहा कि कांग्रेस-अकाली सरकार में पंजाब मोती महल, सिसवां फार्म हाउस और बड़ी-बड़ी हवेलियों से चला करता था। अब पंजाब की सरकार गांवों और मोहल्लों से चलेगी। हम पंजाब के सभी पौने तीन करोड़ लोगों की भलाई के लिए काम करेंगे और पंजाब को फिर से पंजाब बनाएंगे।

 

मान ने कहा कि अब पंजाब के सरकारी दफ्तरों में मुख्यमंत्री और नेताओं की तस्वीर नहीं लगेगी। सरकारी दफ्तरों में अब शहीद-ए-आजम भगत सिंह और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगेगी। भगत सिंह ने अपनी जान कुर्बान कर हमें आजादी दिलाई और आजादी मिलने के बाद बाबा साहब ने देश का संविधान लिख कर हमें स्वतंत्रता व समानता का अधिकार दिलाया। हमारा कर्तव्य है कि हम उनके मान को बढ़ाएं और उनके सपनों को साकार करें।

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पहली बार लुढक़े इतने बड़े बड़े दिग्गज

पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 अपने चौंकाने वाले परिणामों, नए नए रिकार्डों व भारी उलट फेर के लिए लंबे समय तक याद रखा जाएगा। यह तो चुनाव से पहले ही तय हो चुका था कि पंजाब की जनता ने पंजाब की दोनों रवायती पार्टियों को बदलने का मन बना लिया है। पंजाब में आम आदमी पार्टी के पक्ष में बदलाव की बयार पहले ही चलनी शुरु हो चुकी थी। आम आदमी पार्टी और इसके संयोजक अरविंद केजरीवाल, पंजाब प्रभारी राघव चड्ढा ने चुनावों से काफी पहले ही पंजाब में आम आदमी पार्टी के हक में हवा बनानी शुरु कर दी थी और आम आदमी पार्टी ने इस काम में अपने जनसंपर्क अभियान के तहत आम आदमी से डोर टू डोर मिलने के कार्यक्रम भी चुनावों तक निरंतर जारी रख कांग्रेस व अकालियों को काफी पीछे छोड़ दिया था। इस बार पंजाब की जनता ने केवल बदलाव के मद्देनजर कांग्रेस और अकाली दल के बड़े बड़े दिगगजों को धूल चटा दी। इनमें 5 बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री व अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल, बड़े अकाली नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत मजीठिया, पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, कांग्रेस के पूर्व उप मुख्यमंत्री ओपी सोनी, पूर्व मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, पूर्व मंत्री रजिया सुल्तान तथा पूर्व मंत्री आदेश प्रताप कैरों प्रमुख नाम हैं।

 

इनमें सबसे दिलचस्प बात तो यह रही कि लगभग तीस साल बाद इस बार 16वीं विधान सभा में बादल परिवार का कोई भी सदस्य विधानसभा में नहीं जा पाएगा, क्योंकि स्वयं प्रकाश सिंह बादल, उनके पुत्र सुखबीर बादल, सुखबीर बादल के साले बिक्रमजीत मजीठिया, प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों, प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत सिंह बादल भी इस बार चुनाव हार गए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों की बात करें तो इस बार के चुनावों में पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री(अब पंजाब लोक कांगे्रस) के कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला शहरी से, कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्टल लैहरा से, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ व श्री चमकौर साहिब से चुनाव हार चुके हैं।

मुख्यमंत्री चन्नी सहित पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल बठिंडा से, ओपी सोनी अमृतसर सेंट्रल से, राजकुमार वेरका अमृतसर वेस्ट से, विजय इंदर सिंगला संगरूर से, भारत भूषण आशु लुधियाना वेस्ट से, रजिया सुल्ताना मलेर क ोटला से, पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पौत्र गुरकीरत कोटली खन्ना से चुनाव हार गए हैं।

 

पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा डेरा बाबा नानक, पूर्व ओलंपियन परगट सिंह जालंधर कैंट, अरूणा चौधरी दीनानगर, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा फतेहगढ़ चूडिय़ां, राणा गुरजीत सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वडिंग गिदड़बाहा, सुखविंदर सरकारिया राजा सांसी सहित कुल आठ मंत्री तथा पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष व राज्य सभा सांसद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा कादियां, से जीत दर्ज कर कांग्रेस की कुछ साख बचाने में सफल हुए।

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पंजाब की पैड वूमेन के नाम से मशहूर जीवन ज्योत कौर ने सिद्धू और मजीठिया को दी मात

आम आदमी पार्टी की एक आम वालंटियर तथा लंबे समय से समाज सेवा से जुड़ी जीवन ज्योत कौर ने पंजाब के दो सबसे ताकतवर नेताओं को मात देकर इतिहास रच दिया है। जीवन ज्योत कौर ने अमृतसर ईस्ट से पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू व माझा के बादशाह कहे जाने वाले पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया को हरा कर सबको चौंका दिया। कानून में स्नातक जीवन ज्योत कौर को लोग पंजाब की पैड वूमैन के तौर पर भी जानते हैं। उन्होंने गांवों में महिलाओं को हाइजिन सैनेटरी पैड उपलब्ध करवाने और रियूजेबल सैनेटरी नैपकिन प्रोमोट करने में बहुत काम किया है। पंजाब की जेलों में बंद महिलाओं को भी जीवन ज्योत सैनेटरी पैड उपलब्ध करवाने ाक काम करती रही हैं। वह महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलवाने और महिला सशक्तिकरण के लिए निरंतर काम कर रही हैं। चुनाव से पहले सभी नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रमजीत मजीठिया के बीच क ड़ा मुकाबला मान रहे थे और सभी ने जीवन ज्योत को बहुत हल्के में लिया था। परंतु जीवन ज्योत ने इन दोनो महारथियों को पटखनी देकर सिद्ध कर दिया कि कितना भी बड़ा नेता हो, जनता जिसका साथ देती है उसे कोई नहीं हरा सकता।

अमृतसर ईस्ट से जीवन ज्योत कौर को 39520, नवजोत सिंह सिद्धू को 32807 तथा बिक्रमजीत मजीठिया को 25112 वोट मिले। 

 

13 विजयी महिलाओं में से 10 पहली चुनाव लड़ी

पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 में 13 महिलाओं ने अपनी ताकत का अहसास करवाते हुए चुनावों में जीत दर्ज की है। इनमें आम आदमी पार्टी की नरिंदर कौर भरज संगरूर से, जीवन ज्योत कौर अमृतसर ईस्ट से, राजिंदरपाल कौर लुधियाना साउथ से, प्रोफेसर बलजिंदर कौर तलवंडी साबो से, डा.अमनदीप कौर मोगा से, सर्वजीत कौर मनूके जगरांव से, इंदरजीत कौर मान नकोदर से, संतोष कुमारी कटारिया बलाचौर से, नीना मित्तल राजपुरा से, अनमोल गगन मान खरड़ से, डा.बलजीत कौर मलोट से विजयी हुई हैं। कांग्रेस की अरुणा चौधरी दीनानगर से तथा शिरोमणि अकाली दल की गुनीव कौर मजीठिया मजीठा से चुनाव जीती हैं।

 

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