Sunday, March 3, 2013

पटौदी की रैली के मायने

राव इन्द्रजीत की रैली के क्या मायने हैं...क्या इन्द्रजीत की रैली कांग्रेस के भीतरी अंतर्कलह की दस्तक है...या फिर कांग्रेस में दो फाड़ की दहाड़। रैली में एक तरफ जहां इन्द्रजीत के मंच पर सूबे के मुख्यमंत्री के खेमे का कोई नेता नहीं दिखाई दिया...वहीं...मंच पर राव इन्द्रजीत की हुंकार ये साफ करने के लिए काफी थी कि उनकी तल्खी बेवजह नही है।
राव इन्द्रजीत का दावा है कि चौधर की चाबी दक्षिण हरियाणा के हाथ में है। ऐसे में दक्षिण हरियाणा के लोगों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। लेकिन मुख्यमंत्री दक्षिण हरियाणा की अनदेखी करते हैं। और यहां के नेताओं की बात भी नहीं सुनते। हालांकि सूबे के मुख्यमंत्री ने पिछले छह महीने के भीतर दक्षिण हरियाणा के बावल में 8 साल के बाद रैली भी की...और दक्षिण हरियाणा के लोगों से वादा भी किया की अगर हरियाणा की चौधर की चाबी उनके हाथ आती है...और दक्षिण हरियाणा के लोग उनका हाथ मजबूत करते हैं तो मेवात का चौमुखी विकास होगा। उन्होंने बावल में कहा की लोग सोनीपत पानीपत रोहतक के साथ साथ मेवात का नाम भी लेंगे। ये बात साबित करने के लिए उन्होंने इशारा भी दिया की वो मेवात को पहले ही एक परियोजना झझर रोहत रेवाड़ी रेल लाइन के रूप में दे चुके हैं। इसके अलावा दो औऱ रेल परियोजना यहां आने के संकेत भी दिए। जिसपर रेल बजट आने के बाद मुहर भी लग गयी। साथ ही मेवात में रेल डिब्बा कोच फेक्ट्री ने सोने पर सुहागे का काम किया। लेकिन सवाल ये उठता है कि एक साल पहले ही मुख्यमंत्री को मेवात और खासतौर पर दक्षिण हरियाणा की याद क्यों आय़ी। वजह साफ है। दक्षिण हरियाणा से सांसद राव इन्द्रजीत से मुख्यमंत्री की पटरी मेल नहीं खाती। मुख्यमंत्री के किसी भी प्रोग्राम में राव इन्द्रजीत को न्यौता नहीं जाता।
मुख्यमंत्री की ये बेरूखी ही है कि इन्द्रजीत को पटौदी का मैदान चुनना पड़ा। इन्द्रजीत ने रेवाड़ी नहीं चुना और ना ही मेवात उन्होंने पटौदी को चुना। इसके पीछे वजह ये है कि यहां अहिरवालों की खासी अच्छी तादाद है। और यहां वो रेवाड़ी और मेवात के साथ साथ गुड़गांव की भीड़ भी जुटा सकते हैं। और ऐसा हुआ भी। भीड़ के उत्साह से से भी साफ रहा की राव इन्द्रजीत बेवजह ही दक्षिण हरियाणा से हुंकार नहीं भरते। यहां उनका जनसमर्थन उनके हक की बात करता है। और एक बड़ा धड़ा चाहता है कि अब समय आ गया है जब हरियाणा की चौधर की चाबी दक्षिण हरियाणा के हाथ आनी चाहिए। उसके लिए इन्द्रजीत जमीन भी लगभग तैयार कर ही चुके है। एक तरफ अंवाला से शैलजा मुख्यमंत्री से नाराज हैं तो दूसरी ओर अवतार सिंह भड़ाना फरीदाबाद से, बीरेन्द्र सिंह उचाना से। इसके अलावा नरेश सेलवाल और राजपाल भूखड़ी मुख्यमंत्री से खासे नाराज है। सभी का कहना है कि मुख्यमंत्री उन्हे तरजीह नहीं देते। कुल मिलाकर आने वाले विधानसभा चुनावों में किस विधानसभा की सीट पर किसे उम्मीदवारी दी जाए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष फूलचंद मुलाना के लिए बेशक टेढी खीर साबित हो सकता है। खैर...इतना तय है कि अब राव इन्द्रजीत की इस हुंकार के बाद। मुख्यमंत्री को शायद दक्षिण हरियाणा के लिए अपने किसी खास कैंडिडेट के लिए फिल्डिंग सजानी होगी। और इसका भी चुनाव शायद वो कर चुके हैं। इसीलिए एक तरफ जहां पटौदी में राव इन्द्रजीत इंसाफ रैली कर रहे थे। और उसी समय मुख्यमंत्री दिल्ली के आवास पर आफताव अहमद की वाहवाही में कसीदे पढ़ रहे थे।