Wednesday, September 29, 2021

चरणजीत चन्नी को सीएम बनाकर कांग्रेस ने किए एक तीर से कई शिकार !!

पंजाब में सियासी तूफान

-कैप्टन के बिना आसान नहीं है कांग्रेस की राह

पंजाब के इतिहास में चरणजीत सिंह चन्नी का नाम पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री के रूप में लिखा जाएगा। इससे पहले 60 के दशक में बिहार में भोला पासवान शास्त्री मुख्यमंत्री बने थे। बिहार में दलित मुख्यमंत्री बनने के बाद भी दलितों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया और आज भी बिहार में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े, अति पिछड़े हाशिये पर ही है। अब पंजाब में चरणजीत सिंह सिंह चन्नी को लेकर देश की सियासत में दलित नेतृत्व को लेकर बहस छिड़ी है। पंजाब की राजनीति में चरणजीत सिंह चन्नी को लेकर सियासी लोग ये कयास भी लगा रहे हैं कि मौजूदा पंजाब के सीएम सिर्फ कांग्रेस के लिए एक मोहरा हैं। 


कांग्रेस पार्टी ने एक अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री बना कर एक तीर से कई शिकार कर दिए हैं। अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद बनी अनिश्चितता की स्थिति में कांग्रेस आला कमान ने सबसे पहले पंजाब में एक नये प्रयोग के रूप में पंजाब के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व  पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ को एक हिंदू नेता के रूप में मुख्यमंत्री बनाना चाहा, उसके बाद एक और जाट सिख नेता व कैप्टन सरकार के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर चर्चा चली। मगर जब इन दोनों ही नेताओं के नाम पर आम सहमति ना बनी तो राहुल गांधी और आलाकमान ने तीन बार के विधायक और कैप्टन सरकार के ही दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले  एक मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी(58) को मुख्यमंत्री बना कर सबको चौंका दिया।


कांग्रेस आलाकमान का यह एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक था जिससे न केवल पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सहित उनके सभी समर्थक विधायकों व पूर्व मंत्रियों को भी चन्नी के नाम पर अपनी सहमति प्रकट करनी पड़ी बल्कि विपक्षी दलों को कांग्रेस के इस दलित कार्ड के सामने पंजाब में दलित वोटरों के लिए तैयार किया गया एक मुद्दा खोना पड़ा। 


इसके साथ ही कांग्रेस द्वारा चुनाव से पहले एक जाट सिख सुखजिंदर सिंह रंधावा और पंजाब के बड़े हिंदू नेता ओम प्रकाश सोनी को भी डिप्टी सीएम बनाकर विरोधियों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।


कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाने के इस निर्णय से  पंजाब के 32 प्रतिशत दलित समाज को उनका मुख्यमंत्री देकर आने वाले चुनाव में अकाली बसपा और भाजपा के किसी दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर भी सेंधमारी कर दी है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा और अकाली दल दलित को उपमुख्यमंत्री बनाने की केवल घोषणाएं ही करते हैं और कांग्रेस ने तो राज्य को पहला दलित मुख्यमंत्री देकर यह सिद्ध कर दिखाया है कि वे कितने बड़े दलित हितैषी हैं। 


पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने भी उनके  अपने चहेते चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कैप्टन अमरिंदर सिंह को एक करारी शिकस्त दी। वैसे भी चन्नी ने सिद्धू के साथ मिलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में एक अहम भूमिका निभाई है।


बीजेपी और आम आदमी पार्टी भी राज्य में हिंदू मतदाताओं को अपना वोट बैंक मानकर अपनी चुनावी रणनीति तैयार कर रही है। ऐसे में चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस ने राज्य में ओपी सोनी जैसे पांच बार विधायक रहे बड़े कद के हिंदू चेहरे को उप  मुख्यमंत्री का पद देकर विपक्षी दलों के हिंदू वोटरों को रिझाने के बड़े मुद्दे  को भी हथिया लिया है। यानी एक दलित चेहरे चन्नी को मुख्यमंत्री, जाट सिख सुखजिंदर सिंह रंधावा को उप मुख्यमंत्री व ओपी सोनी जैसे बड़े हिंदू नेता को उप मुख्यमंत्री पद देकर राज्य के सभी वर्गों को खुश करने की कोशिश की है।


चन्नी के सामने हैं चुनौतियां बहुत हैं


कांग्रेस आलाकमान एक दलित चेहरे को मुख्यमंत्री बना कर पंजाब में बेशक इसे अपना एक मास्टर स्ट्रोक मान रही है मगर विधान सभा चुनावों से पहले  कांग्रेस और चन्नी के सामने चुनौतियों की कमी नहीं है। सबसे बड़ी चुनौती तो यह है कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे बड़े नेता को दरकिनार कर सिद्धू के साथ मिलकर चलने से चन्नी पंजाब कांग्रेस में होने वाली बगावत को रोक पाएंगे? इसके अलावा जैसा कि पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने चन्नी के नाम की घोषणा होते ही यह ऐलान कर दिया कि आने वाला चुनाव पंजाब कांग्रेस नवजोत सिद्धू के नेतृत्व में ही लड़ेगी। उनके ऐसा कहते ही पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने इसका जबरदस्त विरोध करते हुए कहा कि इससे मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी की छवि पर असर नहीं पड़ेगा। इसका यह संदेश तो लोगों के बीच नहीं जाएगा कि चन्नी केवल 6 महीने के लिए ही एक पार्टटाईम मुख्यमंत्री बनाए गए हैं, उसके बाद तो सिद्धू ही मुख्यमंत्री होंगे।


इसके अलावा कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो है कि राज्य में चुनावों में केवल छह महीने का वक्त बचा है ऐसे में चन्नी इतने कम समय में क्या कुछ कर पाएंगे और लोगों की अपेक्षाओं पर कैसे खरे उतर पाएंगे?  इसके साथ ही चरणजीत चन्नी और उनकी सरकार को पिछले पांच साल में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए कामों और जनता से किए गए वायदों को पूरा करने के बारे में भी जनता को जवाब देना पड़ेगा जो कि इतना आसान नहीं होगा।   


कैप्टन के बिना बहुत कठिन है डगर चुनावों की

चरणजीत चन्नी के लिए कैप्टन समर्थित बागी विधायकों को संभालने के साथ-साथ चुनावों में अकाली भाजपा और आम आदमी पार्टी  जैसे प्रमुख विपक्षी दल का सामना कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे बड़े नेता के बिना करना है। अमरिंदर सिंह पहले ही कह चुके हैं कि यदि सिद्धू पंजाब के सीएम बनते हैं तो वे उसका जम कर विरोध करेंगे। सिद्धू को कैप्टन पहले ही इमरान खान और बाजवा समर्थक और राष्ट्र विरोधी तक कह चुके हैं। इसका सीधा सीधा नुकसान सिद्धू और कांग्रेस को आने वाले चुनावों में होगा। यानी कांग्रेस को भाजपा, अकाली, आम आदमी पार्टी  के साथ साथ कैप्टन का भी सामना करना पड़ेगा, जो कि इतना आसान नहीं होगा। किसान आंदोलन के कारण कांग्रेस की जो स्थिति पंजाब में मजबूत हुई थी अब वो सिद्धू कैप्टन के झगड़े के कारण बिखरी नजर आ रही है। 

 

अब कैप्टन के सामने क्या है रास्ता

पिछले 54 साल से राजनीति में रहे पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को चुनावों से पहले यूं दरकिनार करना कांग्रेस के लिए काफी नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। कांग्रेस ने सिद्धू के रूप में अमरिंदर सिंह का विकल्प चुना है जो कि उनके लिए एक जुए से कम नहीं है। क्योंकि कैप्टन शुरू से ही सिद्धू के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर विरोध कर रहे हैं। कैप्टन ने तो सिद्धू के इमरान खान और जनरल बाजवा के साथ संबंधों को लेकर सिद्धू को देश की सुरक्षा के लिए खतरा तक कह डाला। अब यदि कांग्रेस आगामी चुनावों में सिद्धू को पंजाब कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करती है तो कैप्टन जैसे कद्दावर नेता की बात का कुछ तो असर पंजाब की जनता पर होगा। कैप्टन  की नाराजगी का खामियाजा तो कांग्रेस को भुगतना ही पड़ेगा।


हालांकि अभी तो कैप्टन कांग्रेस में ही हैं और उन्होंने कांग्रेस और विधायक से अपना इस्तीफा नहीं दिया है। मगर उनका चुनावों में सिद्धू के साथ मिलकर चुनावों में जाना लगभग असंभव लगता है। वैसे भी कैप्टन पहले ही कांग्रेस आलाकमान को कह चुके हैं कि उन्हें बहुत अपमानित किया गया, इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री की कुर्सी को भी त्याग दिया। अब सवाल यह है कि यदि कैप्टन कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं करते और कांग्रेस की ओर से चुनाव नहीं लड़ते तो उनका राजनैतिक भविष्य क्या होगा। कैप्टन पहले ही स्पष्ट तौर पर कह चुके हैं कि वे एक सैनिक हैं और अंत तक लड़ते रहेंगे। यह लड़ाई सिद्धू ने शुरु की है और वे इसे जीत कर ही दम लेंगे। यानी संकेत स्पष्ट है कि वे सिद्धू को पंजाब का मुख्यमंत्री बनने से रोकने में पूरी ताकत लगा देंगे। 



अब यदि कैप्टन अमरिंदर सिंह को सिद्धू को पंजाब का मुख्यमंत्री बनने से रोकना है तो उन्हें किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी में जाना होगा। कैप्टन का कद पंजाब में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में इतना बड़ा है कि चाहे वो भारतीय जनता पार्टी हो या आम आदमी जैसा पंजाब का प्रमुख विपक्षी दल, कोई भी पंजाब के महाराजा  कैप्टन अमरिंदर सिंह के स्वागत में पलक बिछाए तैयार है। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद कैप्टन ने इस बात से कभी भी इंकार नहीं किया कि वे किसी अन्य पार्टी में जा सकते हैं। इस सवाल पर उन्होंने केवल इतना ही कहा कि वे अपने समर्थकों, शुभचिंतकों और साथियों से सलाह मशवरे के बाद ही कोई फैसला करेंगे। यानी उनका किसी भी अन्य राजनैतिक दल में जाने की संभावानाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। और यदि ऐसा होता है तो इसका सीधा सीधा खामियाजा कांग्रेस को ही भुगतना पड़ सकता है।


कौन  हैं चरणजीत सिंह चन्नी

चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मोहाली जिले की खरड़ तहसील के गांव के रहने वाले हैं, इनका जन्म एक बेहद साधारण दलित परिवार में हुआ। पंजाब विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए व लॉ कर चुके चरणजीत चन्नी का राजनीतिक सफर 1993 में खरड़ नगर परिषद के पार्षद के रूप में हुआ। वे पंजाब के श्री चमकौर साहिब विधानसभा से तीन बार विधायक रहे। 2015 से 2016 तक उन्हें अकाली भाजपा सरकार के दौरान विपक्षी दल का नेता भी नियुक्त किया गया। मार्च 2017 में उन्हें कैप्टन सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर टेक्निकल एजुकेशन व इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग मंत्री बनाया गया। चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब विश्वविद्यालय से   पीएचडी भी कर रहे हैं। चरणजीत चन्नी की पत्नी डॉ..कमलजीत कौर खरड़ में ही एसएमओ के पद पर तैनात हैं।