Monday, May 28, 2012

खेल नहीं साजिश है आईपीएल ?


आईपीएल एक महीने चला औऱ 27 मई की रात खत्म हो गया। इस बीच ग्रीष्मकालीन सत्र भी खत्म हो चला है औऱ अन्ना की हुंकार भी रालेगंज सिद्धी तक ही गूंज कर रह गयी। टीम अन्ना ने गाजियाबाद से दिल्ली तक जमकर हो हल्ला किया। संसद में कितने नेता ऐसे हैं जिनकी संपत्ति की जांच होनी चाहिए। ऐसे कौन से नेता है जिनपर जांच बैठानी चाहिए। लेकिन, आईपीएल के चौके छक्के में सारी मांगे उड़ती रही। यहां तक की एक साथ साढ़े सात रुपये प्रैट्रोल पर बढ़ा दिए गए, जिसे भी लोग आईपीएल के नशे में गले से उतार गए। जिसके बाद एक आधा जगह एक दो दिन धरना प्रदर्शन जरूर हुआ। पर वो भी आईपीएल के फाइनल में धुल गया।
खैर, अब तो आईपीएल खत्म हो गया। शाहरुख ने भी अपने किए पर माफी मांग ली जैसे उन्होंने देश पर कोई अहसान कर दिया। उन्होंने बड़े ही अदब से कहा की मैं अपने किए पर माफी मांगता हूं। और लोगों ने भी भी शाहरुख को माफ कर दिया। इसे अपने देश के लोगों का बड़प्पन समझे या मजबूरी ये जरूर शोध का विषय हो सकता है। क्योंकि दोनों ही हाल में देश का आम आदमी अपने आपको इस मामले में ठगा से महसूस करेगा ही करेगा। खैर, शाहरुख ने तो माफी मांग ली है।
वहीं इससे पहले देश के प्रधानमंत्री ने भी यूपीए-2 सरकार के तीन साल पूरे होने पर एक रात्रि भोज का आयोजन किया। जिसमें उन्होंने सरकार की कामयाबी का रिपोर्ट कार्ड पेश किया। औऱ इस मौके पर पहली बार मुलायाम सिंह प्रधानमंत्री के साथ मंच पर खड़े दिखाई दिए। जिसके बाद यूपीए-2 सरकार के ना सिर्फ कंधों में एक नयी ताजगी दिखाई दी बल्कि मैडम के चेहरे पर भी ऐसी मुस्कान दिखी की आम आदमी की घिग्गी बंध गयी। अपने पजामे का नाड़ा बांधकर हर रोज ये कसम उठाने वाला आम आदमी की इस बार सरकार को मजा चखा दूंगा दूसरे दिन से ही अपना नाड़ा बगैर किसी लागलपेट के बांधता नजर आया। क्योंकि सरकार के साथ अब ममता कम और मुलायाम की साईकिल ज्यादा नजर आ रही थी।
इसी बीच पहले मध्याविधि चुनावों की घोषणा करते टेलिविजन इस रात्रि भोज के बाद घिघियाते दिखे। और टेलिविजन के तमाम धुरंधर अपने अपने कम्प्यूटर के कीबोर्ड पर स्टोरी फोड़ने की कोशिश में अपना आपा खो बैठे। इस बीच खबर मिली की प्रधानमंत्री ने भी महंगाई पर नया प्रस्ताव लोगों को दिया है। उन्होंने लोगों से कहा है कि वो महंगाई को अपने हिसाब से नियंत्रित करे। अपनी जेब देखकर खर्च करें। क्योंकि सरकार के पास कोई जादु नहीं है। प्रधानमंत्री ने ये भी मान ही लिया की महंगाई है। लेकिन, महंगाई कम करेगा कौन। मैं अक्सर अपने दादा से लाल बहादुर शास्त्री के बारे में सुनता था। वो अक्सर कहते थे। बेटा, शास्त्री जी होते तो महंगाई नहीं होती। हम पूछते दादा जी क्यों वो क्या कर लेते। तो वो कहते थे। बेटा शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था। उनका कहना था कि जहां कही भी खाली जमीन दिखे वहां अनाज उगा दो। ये जो इंडिया गेट के बड़े पार्क हैं ना यहां भी शास्त्री जी ने अनाज उगवा दिया था। वो जहां कहीं भी खाली जगह देखते वहीं अनाज उगाने की बात कहते थे। लेकिन, आज मामला उलटा है। आज देश का प्रधानमंत्री कहता है जहां खाली जगह दिखे वहां बिल्डिंग बना दो। यहां विदेश से आउटसोर्स आयेगा। यहां युवा नौकरी पायेगा। और विदेश से पैसा आयेगा। उसी विदेशी जमीन से जो खुद कर्जें में हैं। यानी आज हमारे नेता उस जमीन पर खेती कर रहे हैं जो असल में है ही नहीं। ऐसे में महंगाई कम कैसे होगी। ये कहना मुश्किल है। लेकिन, हां...इतना जरूर है कि जब कभी भी आम जनता ज्यादा परेशान होया तो आईपीएल करवा दो या फिर कॉमनवेल्थ और कुछ और ना हो तो कोई और खेल करवा दो। क्योंकि कहा भी जाता है जब भूख भूलानी हो तो भजन गा। और भजन नहीं गा सकता तो सो जा।