दिल्ली में केजरीवाल
दिल्ली के लोगों से मुफ्त बिजली पानी बाई फाई देने का चुनावी वादा दोहरा रहे थे और
वहां महाराष्ट्र में देश के प्रधानमंत्री पवार के साथ हुई मीटिंग पर राजनैतिक
चर्चा ना करने की सलाह मीडिया को दे रहे थे।
राजनीतिक हलको में इस
मुलाकात पर कई तरह के कयास निकाले जा रहे हैं। इस मुलाकात को शिवसेना के विकल्प के
लिए प्रयास भी माना जा रहा है और इलेक्शन के लिए गठजोड़ भी। वही, इस मुलाकात के
मायने ये भी निकाला जा सकता है कि अब मोदी अपने ही वयानों से यूटर्न लेने लगे हैं।
ये राजनीतिक मजबूरियां भी हो सकती हैं और दिल्ली में मिली हार की हताशा भी।
हालांकि नरेन्द्र मोदी ने
अक्टूबर में विधानसभा चुनाव के दौरान राकांपा को स्वाभाविक रूप से भ्रष्ट पार्टी
कहा था और जनता से आह्वान किया था कि वह खुद को पवार परिवार की दासता से मुक्त
कराए। इतना ही नहीं किसानों को देश के कई हिस्सों में संबोधित करते हुए उन सभी
आत्महत्याओं का व्यौरा भी देते नजर आए जो यूपीए की सरकार के दौरान किसानों ने की।
वहीं इस मुलाकात ने महाराष्ट्र
में नए राजनीतिक समीकरणों की अटकलों को हवा तो दे दी है। हालांकि दोनों नेताओं ने
जोर देकर कहा, हमारे सार्वजनिक रूप से एक साथ आने को लेकर कोई
राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाए।
वहीं भाजपा के अपने
सहयोगी शिवसेना के साथ संबंधों में आए तनाव के बाद इसे अधिक महत्व दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी शरद के इलाके बारामती में कृषि विज्ञान केंद्र का उद्घाटन करने
पहुंचे थे। यह पवार का ड्रीम प्रॉजेक्ट है।
लेकिन, जब देश की राजधानी
में भाजपा की फजीहत हो रही हो। और मोदी अमित की जोड़ी पर आरएसएस ही सवाल खड़े कर
रही हो, ऐसे में मोदी और पवार की मीटिंग के मायने क्या हो सकते हैं। आरएसएस का
मानना है कि अब मोदी अमित की जोड़ी का करिश्मा खत्म हो रहा है। वहीं मोदी अभी भी
ये बात मानने के लिए तैयार नहीं। फिर आखिर महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री के बयान का
क्या मतलब हो सकता है आईये उसे समझ लेते हैं।
मधुर रिश्ते का
बखान
मोदी ने पवार से अपने
मधुर रिश्ते का बखान किया। बोले-यूपीए शासनकाल में पवार एकमात्र नेता थे जिन्होंने
मेरी मदद की। मेरे और पवार के बीच महीने में दो से तीन बार बात जरूर होती है।
मीडिया पर चुटकी
ली
पीएम को आभास था कि
मीडिया में दोनों नेताओं के साथ दिखने पर चर्चा गर्म होगी। मोदी ने चुटकी ली, यह मीडिया के लिए खास दिन है क्योंकि मुझे व पवार को एक मंच पर देख सवाल उठाए
जाएंगे।
विचार अलग, लक्ष्य एक
मोदी ने कहा कि हम लोगों
की राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है लेकिन लक्ष्य तो देश निर्माण ही है। सत्ता
में होने के बाद मेरा फर्ज है कि पवार से हमें सुझाव मिले। राजनीतिक गठजोड़ से
ज्यादा अहम राष्ट्र है।
यही लोकतंत्र की
सुंदरता
मोदी बोले, मीडिया बारीकी से विश्लेष्ण करे कि मैंने चुनाव के दौरान क्या कहा था और आज
क्या कहता हूं। यही लोकतंत्र की सुंदरता है। लोकतंत्र दो पटरियों पर काम करता है।
पहला-विवाद और दूसरा-संवाद।
ये मोदी के महाराष्ट्र
में दिए गए बयान का कुछ अंश हैं। हालांकि फेहरिस्त लंबी है और हर बयान के मायने अलग।
पहले बात करते हैं उस बयान की जिसमें मोदी ने कहा कि उनके और पवार के बीच हमेशा से
मधुर रिश्ते रहे हैं। उन्होंने दूसरे बयान में कहा कि मीडिया मामले पर चुटकी लेगी।
तीसरा उन्होंने कहा कि हम दोनों का लक्ष्य एक ही है। यानी विकास और चौथा उन्होंने
इस मुलाकात को लोकतंत्र की सुंदरता बता दिया। यानी कुल मिलाकर देश के प्रधानमंत्री
ने शरद पवार को हर एंगल से क्लीन चिट दे दी। हर उस मामले से जिन्हें वो पिछले 10
साल से देश की जनता के बीच उठाते आएं हैं।
वहीं कांग्रेसी नेता
दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए फिर आरोप लगाया
है। दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा, एनसीपी नेचुरली
करप्ट पार्टी' अब मोदी के लिए नॉट सो
करप्ट पार्टी (ज्यादा भ्रष्ट पार्टी नहीं) बन चुकी है। एक और यू टर्न नरेंद्र भाई
ऐसे यू-टर्न लेते रहते हैं। लगे रहो नरेंद्र भाई यू टर्न करते रहो जनता देख रही
है।'