ये कैसा बयान है और इस बयान के माध्यम से कमीश्नर साहब क्या कहना चाहते हैं। हालांकि ये बात ठीक है कि दिल्ली में लगातार भीड़ बढ़ रही है और यहां की कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए दिल्ली पुलिस को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन दिल्ली में पुलिस की तैनाती और कार्यकुशलता की अगर बात की जाये तो दिल्ली पुलिस देश की सबसे हाईटेक और भरोसेमंद पुलिस मानी जाती है। इसके पास वो सभी नयी तकनीक है जो आधुनिक पुलिस के पास होनी चाहिए। लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस बदमाशों के पीछे लकीर पिटती नजर आती है। इसका पहला कारण ये भी है कि दिल्ली पुलिस में कई सालों से सिपाहियों को नई तकनीकों की ट्रेनिग नहीं दी गयी है। वहीं दिल्ली पुलिस अभी भी पुराने ढर्रे पर चलकर बदमाशों को पकड़ने के लिए मुखबिरों पर ही आश्रित है। हालांकि मुखबिर हमेशा से ही एक अच्छा सोर्स ऑफ इंफोर्मेशन रहे हैं...लेकिन यहां दिल्ली पुलिस की हाईटेक तकनीक पर अगर गौर डाले तो दिल्ली पुलिस के पास लोकल एरिया पर चौंकसी ना के बराबर है। पुलिस का लोकल नेटवर्क कमजोर है। लोकल स्तर पर पुलिस केवल हफ्ता और महीने की पत्ती पर ही जोर देती है। किस थाने से कितना आ रहा है इसका पूरा ब्यौरा सिपाही थानेदार और फिर थानेदार अपने से ऊपर और ऊपर से और ऊपर तक पहुंचाता है। थानों की नीलामी होती है और हर थाने से महीना फिक्स्ड होता है। अगर आपको यकीन नहीं है तो दिल्ली पुलिस के सिपाहियों और उनके अफसरों के घर जाकर देखिए... आपको यकीन हो जायेगा कि कम समय में तरक्की कैसे पायी जाती है। दिल्ली के किसी भी सिपाही के पास कम से कम एक करोड़ रुपये की संपत्ति है। ये सिपाहियों की संपत्ति है....अगर ठीक इसी तरह से अगर अफसरों की कमाई का ब्यौरा मांगा जाये तो साधारण आदमी के होश फाख्ता हो जाएंगे। दिल्ली पुलिस के कर्मचारियों की आजतक किसी ने आय का ब्यौरा नहीं मांगा न ही अफसरों की कमाई की जांच की गई। हां इक्का दुक्का अफसर जरूर छोटे मोटे घपले में आता रहा जिसे यूं ही रफा दफा कर दिया गया।
कहने के लिए कभी कभी हमारे पास शब्द नहीं होते और कभी माध्यम, लेकिन कहना तो है। क्योंकि मरना तय है और मरते वक्त दिल में कोई बात रह जाये तो फिर उस जीवन का मतलब ही क्या? इसलिए अपने दिल की बात कहो और अगर कोई न सुने तो शोर मचा कर कहो ताकि अंतिम समय दिल यहीं कहे कि अब बस बहुत हुआ अब शांत हो जाओ।
Thursday, January 13, 2011
दिल्ली पुलिस सदैव आपके साथ
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