Friday, April 16, 2010

सोशल नेटवर्किंग -2

आज मैं सोशल नेटवर्किंग भाग -2 आपक सामने रखने जा रहा हूं। कल इस कहानी का पहला भाग मैंने अपने ब्लाग पर दिया था। उसपर एक मित्र की प्रतिक्रिया ने मुझे इसके दूसरे भाग को लिखने की प्रेरणा दी है। कहानी वहीं पुरानी है। ये कहानी हमारी धार्मिक पुस्तकों और अक्सर घर के बुजुर्गों के माध्यम से सुनाई जाती रही है। इसके लेखक कौन हैं इसकी जानकारी मुझे नहीं हैं, लेकिन आप इस कहानी को पढ़कर ये अवश्य समझ पायेंगे कि ये मेरी पहली कहानी का आगे का हिस्सा है और क्योंकि मेरी पहली कहानी पर कल थोड़ी बहस हुई थी तो उसी बहस को आगे बढ़ाने के लिए ये दूसरी कहानी लिख रहा हूं।
हां, एक बात और मैं कहानी अपने तरह से कहने में विश्वास रखता हूं और साधारण शब्दों में कहता हूं इसलिए कहानी को थोड़ा तोड़ता मरोड़ता हूं। उम्मीद है आप मेरी इस गलती को माफ करके कहानी का आनंद अवश्य लेंगे।
बड़ा कौन ?

एक बार गणेश भगवान और उनके बड़े भाई कार्तिक खेल रहे थे। खेलते खेलते कोई बात चली और कार्तिक भगवान ने गणेश जी से कहा की तू मुझसे छोटा है, छोटे के तरह रहा कर। गणेश जी ने कहा भाई इस दुनिया में कोई बड़ा या छोटा नहीं है, जिसकी जितनी ज्यादा मांग इस दुनिया में है यानी जिसका सोशल नेटवर्क जितना बड़ा है वह उतना ही बड़ा है। यानी जिसकी ज्यादा पहुंच जिसका ज्यादा प्रचार वही महान। ये बात कार्तिक को बुरी लग गई। उन्होंने कहा अरे गणेश भाई कैसी बात करते हो। क्या आयु, शिक्षा और ज्ञान का आधार कुछ नहीं है। इसपर गणेश जी मुस्कुराये और बोले भाई में ज्ञान, आयु और शिक्षा की नहीं मैं तो सिर्फ ये कह रहा हूं कि जिसकी बाजार में जितनी मांग होगी वह उतना ही बड़ा होगा। जिसका सोशल नेटवर्क बड़ा होगा वह बड़ा होगा। अब धरती पर मौजूद हाल का ही उदहारण ले लीजिए। सानिया और शोहेब की शादी दंतेबाड़ा के नक्सली नरसंहार से बड़ी हो गई। हमारे यहां मौजूद यमदूत भी पहले सानिया के यहां दावत खाने पहुंचे औऱ बाद में दंतेबाड़ा पहुंचे। मीडिया ने भी जो नारद जी से भी तेज खबर देने का दावा करती है। वह भी पहले वहीं पहुंचे और दंतेबाड़ा पर चिंदबरम की बाइट चला कर अपना पल्ला झाड़ लिया। तो जो मार्किट में बिक रहा है और जिसका सोशल नेटवर्क ज्यादा है वह बड़ा हुआ या नहीं। इस पर कार्तिक का चेहरा तम तमा गया। वह गुस्सें में गये और जा पहुंचे सीधे हाई कमान भगवान शिव के पास और बोले पिता जी ये गणेश मुझसे कहता है कि मैं बड़ा नहीं ये बड़ा है। ऊपर से धरती के उल्टे सीधे तर्क दे रहा है। भोले नाथ ये बात सुनकर पहले चुप्पी साध गये, लेकिन कार्तिक कहा मानने वाले थे। उन्होंने उनकी बाजू पकड़ कर हिलाया और कहा पिता जी आप आंखे मत मूंदो और मुझे जवाब दो। भोले नाथ ने आंखे खोली और धीरे से कहा पुत्र आप लोगों का आपसी मामला है आप ही निपटा लो काहे मुझ योगी को इस लफड़े में डालते हो। कार्तिक फिर बोले पिता जी आप क्यों अपना पल्ला झाड़ रहे हो। मुझे जवाब चाहिए नहीं तो मैं आपका पीछा नहीं छोड़ने वाला। अब भोले नाथ समझ गये कि मामला कुछ ज्यादा ही सनसेटिव हो गया है। उन्होंने नंदी को आवाज देकर बुलाया और कहा जाओं गणेश को ले आओं। गणेश जी हाथ में अपना मोदक लिए भगवान शिव के दरवार में उपस्थित हो गये। भगवान शिव ने पूछा बेटा ये कार्तिक से आपका किस बात पर झगड़ा हो रहा है। इस पर गणेश पहले थोड़ा मुस्कुराये और फिर बोले। बाबा कार्तिक भाई को मैं समझा रहा था कि इस दुनिया में वही बडा़ है जिसका सोशल नेटवर्क बड़ा है। लेकिन ये भाई है कि मानते ही नहीं और कह रहे हैं मैं बड़ा हूं, क्योंकि मैं आयु में बड़ा हूं। अब मैंने इन्हें समझाया की आयु में तो बह्रमा भी बड़े हैं लेकिन उनका सोशल नेटवर्क स्ट्रोंग नहीं है तो उनका कोई नाम नहीं लेता और चाचा जी यानी विष्णु जी का सोशल नेटवर्क बड़ा है तो उनका नाम बड़ा हो गया उनकी डिमांड ज्यादा हो गयी। लेकिन ये मेरी बात को मानने के लिए ही तैयार नहीं है। इस पर फिर से कार्तिक भन्ना गये, उन्होंने आव देखा ना ताव औऱ गणेश को चैलेंज दे कर कहा। अच्छा तू बहुत देर से बक बक कर रहा है। चल तू मुझसे दौड़ लगा और साबित कर की तू मुझसे बड़ा है। जो जितेगा वही बड़ा होगा। ये सुनकर भगवान शिव के दरबार में मौजूद सभी देवतागण चुप हो गये। इस पर वहां मौजूद नंदी ने कहा भगवन आप काहे इस छोटे बड़े के चक्कर में फंस रहे हैं। छोड़िये और अपने मोर पर बैठकर आकाश की परिक्रमा कीजिए और आनंद लिजिए। गणेश जी का क्या है ये तो ऐसे ही कहते रहते हैं। लेकिन कार्तिक जी तो जैसे अपनी बात पर अड़े बैठे थे। उन्होंने जैसे ठान ही लिया था कि आज फैसला करना है औऱ गणेश को जवाब देना है। कार्तिक ने कहा नहीं आज दौड़ होगी मतलब दौड़ होगी। इसपर गणेश जी ने कहा भाई ठीक है अगर आप नहीं मानते तो मैं दौड़ लगाने के लिए तैयार हूं लेकिन तैयारी करने के लिए मुझे कुछ समय चाहिए। कार्तिक ने कहा दौड़ पूरे ब्राहमांड की लगानी होगी और जो पहले यहां वापस आयेगा वहीं विजयी होगा। गणेश जी ने बात मान ली और कहा ठीक है मुझे एक सप्ताह का समय दीजिए तैयारी के लिए। कार्तिक ने समय दे दिया। कार्तिक उसी समय से अपने मोर की सेवा में लग गये और लगे दंड मारने की अब ब्राहमांड विजयी करना है। वहीं दूसरी ओर गणेश जी सभी देवताओं से मंत्रणा करने लगे और सभी देवताओं, नर, नारी, पशु, पक्षी और इन तीनों लोको के प्राणियों को जमकर मौज करवाई, सभी के लिए मीठे मोदक और जिसकी जो पसंद थी वह पहुंचाया गया। भगवान शिव को भी भांग धत्तूरा और पार्वती जी को चंदन का खास उबटन दिया गया। एक सप्ताह तीनों लोकों में जश्न का माहौल रहा ऐसा लग रहा था कि भारत देश का लोकसभा का इलेक्शन हो रहा हो। दारू, मुर्गा, रैव पार्टी सभी कुछ हुआ। आखिर प्रतियोगिता का समय ही गया। प्रतियोगिता का निर्णय का हक भगवान शिव और पार्वती मां को दिया गया, लेकिन वोटिंग्स के आधार पर। वोट सभी देवी देवताओं औऱ तीनों लोकों के प्राणियों को करने का अधिकार दिया गया। वोट इंटरनेट औऱ मोबाइल के माध्यम या फिर एक ध्वनी मत के द्वारा दी जाने की घोषणा की गई। खैर प्रतिस्पर्धा आरंभ हुई। सीटी बजी और कार्तिक महाराज ने अपने मोर को ऐढ़ लगाई और चल दिये ब्राहमांड की सैर करने। जबकि गणेश जी वहीं रहे और भगवान शिव औऱ पार्वती की सेवा करते रहे और पूरे सप्ताह हर रोज उन्ही के सात सात चक्कर लगाने लगे। एक सप्ताह के बाद कार्तिक पसीना पसीना होते वापस आये और जैसे ही भगवान शिव के दरबार मे पहुंचे गणेश को वहीं पाकर जोर से हंसे और बोले देख मैं ब्राहमांड का एक चक्कर लगा कर भी गया और तू यहीं बैठा है। इतने में ही भगवान शिव के यहां मौजूद स्कोर बोर्ड़े पर डिस्प्ले हुआ कार्तिक - एक चक्कर, गणेश - 49
स्कोर देखकर कार्तिक का सर भन्ना गया और वहां मौजूद सारे दर्शकों ने अब गणेश को अपने कंधों पर उठा लिया और जोर से एक ध्वनी में कहा। हमारे विध्नहरता, कष्टहरता, दुख दूर करता कौन ? इतने में ही शिव पार्वती बोले भगवान गणेश।

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