Friday, May 28, 2010

नक्सलियों का कहर


गुरुवार देर रात नक्सलियों ने ट्रेन पर हमला कर करीब 65 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस हमले में 200 से ज्यादा लोग घायल भी हुए हैं। बम धमाका कुर्ला ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस की पटरी पर किया गया, जिससे इंजन समेत 12 डिब्बे पटरी से उतर गए। आइए जानते हैं नक्सलियों ने कब और कहां किस तरह हमले को अंजाम दिया है।

तमाम अभियानों के बावजूद नक्सलियों का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हावड़ा - कुर्ला ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस को निशाना बनाकर नक्सलियों ने सरकार को फिर से खुली चुनौती दे डाली है। इस घटना की जिम्मेदारी नक्सल समर्थक संगठन पीसीपीए ने ली है। ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब नक्सलियों ने ट्रेनों को अपना निशाना बनाया हो...इससे पहले भी पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में नक्सलियों ने ट्रेनों को निशाना बनाया है...आइए एक नजर डालते हैं नक्सलियों के ट्रेनों पर किए गए हमलों पर.....

22 अप्रैल 2006

माओवादियों ने लातेहार में आठ घंटे तक एक यात्री ट्रेन को कब्जे में रखा।

मई 2008

माओवादियों ने लातेहार में पांच घंटे तक एक ट्रेन पर कब्जा किया।

27 अक्तूबर 2009

माओवादियों ने पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज की ओर से बुलाए गए बंद के दौरान भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को आठ घंटे तक कब्जे में रखा।

नवंबर 2009

माओवादियों ने झारखंड के सिमदेगा जिले में रेल पटरियों पर विस्फोट किया। एक यात्री ट्रेन पटरी से उतरी जिसमें दो लोगों की मौत हुई और 38 लोग जख्मी हुए।

19 मई 2010

माओवादियों ने पश्चिमी मिदनापुर जिले के झारग्राम के पास पटरियों पर बारूदी सुरंग से विस्फोट किया। एक मालगाड़ी के दो चालक जख्मी हुए और इंजन क्षतिग्रस्त हुआ।

ये वो हमले थे जिनमें ज्यादा जानमाल का नुक्सान नहीं हुआ था। लेकिन इस बार माओवादियों ने बड़े हमले को अंजाम देते हुए करीब 65 लोगों की जान ले ली। एक तरह से नक्सलियों ने सरकार के सख्त अभियान को ठेंगा दिखा दिया है। सरकार भले ही नक्सलियों से सख्ती से निपटने के दावे करे, लेकिन उनकी ताकत बढ़ती ही जा रही है। जो नक्सली कल तक आम आदमी की बेहतरी की बात करते थे अब वही नक्सली आम लोगों को ही मार रहे हैं। कहना गलत नहीं होगा कि नक्सली अब आतंकियों का दूसरा नाम बन चुके हैं।

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