तमाम अभियानों के बावजूद नक्सलियों का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हावड़ा - कुर्ला ज्ञानेश्वरी सुपर डीलक्स एक्सप्रेस को निशाना बनाकर नक्सलियों ने सरकार को फिर से खुली चुनौती दे डाली है। इस घटना की जिम्मेदारी नक्सल समर्थक संगठन पीसीपीए ने ली है। ये कोई पहली बार नहीं हुआ है जब नक्सलियों ने ट्रेनों को अपना निशाना बनाया हो...इससे पहले भी पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में नक्सलियों ने ट्रेनों को निशाना बनाया है...आइए एक नजर डालते हैं नक्सलियों के ट्रेनों पर किए गए हमलों पर.....
22 अप्रैल 2006
माओवादियों ने लातेहार में आठ घंटे तक एक यात्री ट्रेन को कब्जे में रखा।
मई 2008
माओवादियों ने लातेहार में पांच घंटे तक एक ट्रेन पर कब्जा किया।
27 अक्तूबर 2009
माओवादियों ने पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज की ओर से बुलाए गए बंद के दौरान भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस को आठ घंटे तक कब्जे में रखा।
नवंबर 2009
माओवादियों ने झारखंड के सिमदेगा जिले में रेल पटरियों पर विस्फोट किया। एक यात्री ट्रेन पटरी से उतरी जिसमें दो लोगों की मौत हुई और 38 लोग जख्मी हुए।
19 मई 2010
माओवादियों ने पश्चिमी मिदनापुर जिले के झारग्राम के पास पटरियों पर बारूदी सुरंग से विस्फोट किया। एक मालगाड़ी के दो चालक जख्मी हुए और इंजन क्षतिग्रस्त हुआ।
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