कहने के लिए कभी कभी हमारे पास शब्द नहीं होते और कभी माध्यम, लेकिन कहना तो है। क्योंकि मरना तय है और मरते वक्त दिल में कोई बात रह जाये तो फिर उस जीवन का मतलब ही क्या? इसलिए अपने दिल की बात कहो और अगर कोई न सुने तो शोर मचा कर कहो ताकि अंतिम समय दिल यहीं कहे कि अब बस बहुत हुआ अब शांत हो जाओ।
Saturday, July 24, 2010
फिर कोई महाभारत क्यों नहीं होता
फिर से कोई महाभारत क्यों नहीं होता
इस देश में फिर से कोई अर्जुन पैदा क्यों नहीं होता....
सुना था “जब जब पाप बढ़ेगा धरती पर लूंगा जन्म में”
चीर हरण द्रोपदी का हो रहा चौराहे पर
धर्म पड़ा है सड़कों पर
पिस रही है मानवता भूख की चक्की में
सुलग रही है आग दिल के जज्बातों में
फिर क्यों कोई कृष्ण पैदा नहीं होता
बूझती आंखों से पड़ा भीष्म
शरशैय्या पर
क्यों कोई धर्मराज
टूटती सांस को नहीं संभालता
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