Tuesday, November 7, 2017

नैनो टेक्नोलॉजी भविष्य की उड़ान

-रविन्द्र कुमार 
हार्ट सर्जरी, मोबाइल फोन में क्रांति और फिर अंतरिक्ष की उड़ान. ये वो संभावनाएं हैं जो सिर्फ नैनो टेक्नोलॉजी के दम पर पूरी हो पायी. एक जमाना था जब हार्ट सर्जरी के लिए वायपास या ओपन हार्ट सर्जरी पर जाना होता था. लेकिन नैनो टेक्नोलॉजी आने के बाद ये काम सिर्फ एक छोटे से कम्प्यूटर और एक सुई जैसे कैमरे के दम पर होता चला गया. इसी तरह से मोबाइल फोन में भी तेजी से क्रांति आयी और आज हमारे हाथ में 4जी का फोन मौजूद है जिसपर ना सिर्फ हम तेजी से इंटरनेट सर्फ कर पाते हैं बल्कि देश और दुनिया की रफ्तार के साथ भी कदम से कदम मिला कर चल रहे हैं.
इतना होने के बाद ये समझने की जिज्ञासा मन में पैदा होती है कि आखिर ये नैनो टेक्नोलॉजी है क्या? तो चलिए हो जाइये तैयार क्योंकि हम आपको नैनो टेक्नोलॉजी की जानकारी देने जा रहे हैं.


क्या है नैनो टेक्नोलॉजी
नैनो टेक्नोलॉजी एक ऐसी क्रांति हैं जिसके बाद ये माना जा रहा है कि इस सदी के मध्य तक इसके बल पर दुनिया बदल जाएगी. दरअसल सूक्ष्म से सूक्ष्मतर की क्रांतिकारी खोज ही नैनो टेक्नोलॉजी है. एक नैनो एक मीटर का अरबवां भाग होता है. यानी मोटे तौर पर कहेँ तो मानव के बाल का अस्सी हजारवां हिस्सा, अभी तक परमाणु को सबसे छोटा कण माना जाता रहा है, मगर नैनो उससे भी सूक्ष्म है. इसी सूक्ष्मतम भाग को लेकर हल्की मगर मजबूत वस्तुओँ का निर्माण किया जाता है. इस खोज के बाद बड़े कम्यूटर चिप्स और पार्ट अब छोटे हो गए हैं. इससे भी आगे अब ऐसे नैनो रोबो तैयार होंगे जो हृदय के लिये खतरा बनी हुई धमनियोँ को खोलते चले जाएंगे. ऐसी मिनी-माईक्रोचिप, जो बड़ी मात्रा मे सूचनाएं भंडारित करेंगी. जिसके बाद कम्प्यूटर, मोबाईल, टीवी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े बदलाब आएंगे. 

अंतरिक्ष खोज में नयी संभावनाएं
नैनो टेक्नोलॉजी अंतरिक्ष के क्षेत्र में नयी संभावनाएं पैदा कर रहा है. इस तकनीक के आने के बाद सबसे बड़ी उपलब्धि ईधन की खपत का कम होना माना जा रहा है. क्योंकि नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से कम ईंधन की खपत तो होगी ही साथ ही कम समय में लंबी दूरी भी तय हो सकेगी. नासा इस क्षेत्र में पहल कर चुका है और पृथ्वी के सबसे करीबी ग्रह चांद पर बेस तैयार कर रहा है. चांद पर बेस तैयार कर लेने के बाद. अंतरिक्ष में ट्रेवल करने की संभावनाएं बढ़ेंगी और इस क्षेत्र में नयी खोज आसान हो जाएंगी.  

सूचना के क्षेत्र में क्रांति
सूचना के क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी के आने के बाद गजब की क्रांति देखने को मिल रही है. नैनो टेक्नोलॉजी के बाद मोबाइल ना सिर्फ हल्के हुए हैं, बल्कि कीमत में भी कमी आयी है. इसके अलावा मोबाइल अत्यंत संवेदी, सूचना से भरपूर, अनेक फीचर वाले तो हो ही रहे हैं. साथ ही तेज और स्मार्ट भी हो रहे हैं. इस दिशा में न्युकैसल विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो स्केल साइंस एंड टेक्नोलॉजी आईएनईएक्स के वैज्ञानिकों और इंन्जीनियरोँ ने उत्तरी ब्रिटेन के दो पर्यटक स्थान इतने छोटे पैमाने पर बना लिए हैं, जो कोरी आंखों से दिखाई भी नहीं देते. वैज्ञानिकों के इस दल ने रसायनशास्त्र, भौतिकी और मेकेनिकल इंजीनियरिंग का प्रयोग करते हुए एंजल ऑफ नॉर्थऔरद टाइन ब्रिजनामक दो नन्हे ढांचे बनाए हैं. दोनों ही सिलिकन के बने हुए हैं और लगभग चार सौ माइक्रॉन चौड़े हैं. इन मॉडल्स को बनाने में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी को अगली पीढ़ी के मोबाइल फोन के सूक्ष्म एंटीना बनाने के काम में लाया जा सकता है.

नैनो रोबो से बढ़ेगी मानव की आयु
अब नैनो के इस्तेमाल से बीमार शरीर के इलाज के लिए दवा को स्टीक जगह पहुंचाया जा सकेगा. इस दिशा मे एक रिपोर्ट के अनुसार एक परमाणु की मोटाई का एक ऐसा नैनो कण आधारित नैनो रोबो तैयार कर लिया गया है, जो स्टील की तरह मजबूत है और रबड की तरह एकदम लचीला. इसके द्वारा धमनियोँ- शिराओँ की रुकावट को खोल पाना सम्भव है तो वहीँ पूरे इम्यून सिस्टम को भी सही से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है.
आज चिकित्सा जगत मे ईलाज के लिये हिट एंड ट्रायलपद्धति है यानी अनुमान के आधार पर रोगी को दवा दी जाती है. लेकिन नैनो कणों मे उसके आकार के अनुरूप रंग प्रदर्शित करने की क्षमता है. अत: इसके द्वारा कैंसर कोशिकाओँ की पकड़ संभव हो चली है.
लंबे समय से इस बात की आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि कोई इतना सूक्ष्म उपकरण मिल जाए, जो कोशिकाओँ में प्रवेश कर वहां उपस्थित डीएनए और प्रोटीन से सम्पर्क कर पाए. नैनो कण ने यह सपना साकार कर दिखाया है. इसके आधार पर कैंसर प्रभावित कोशिकाओँ को बेहद प्रारम्भिक अवस्था में पकड पाना संभव होगा. इसके बाद नैनो कणों के सहारे ही कैंसर कोशिका तक दवा पहुंचाना संभव हो जाएगा. और इलाज सस्ता हो पाएगा. 

भारत की नैनो परियोजनाएं 
हमारे देश में भी बहुत सी नैनो परियोजनाएं चल रही हैं. साल 2003 के अंत में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग द्वारा कोलकाता मेंइंटर्नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजीका आयोजन किया था. बैंगलोर स्थित जवाहर लाल नेहरु सेंटर फ़ॉर एड्वांस साइंटिफिक रिसर्च में नैनो विज्ञान पर उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैँ. यहां से 1.5 नैनोमीटर व्यास की नैनो ट्यूब तैयार की गयी है. पुणे स्थित राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला द्वारा नैनो कणों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है. यहां नीम आधारित स्नव के प्रयोग हुए क्रायोजनिक मेटल और बायो मेटलिक नैनो कणों का निर्माण किया गया है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग संस्थान, नई दिल्ली स्थित केंद्रीय प्रयोगशाला जैसे देश के विभिन्न संस्थान विश्वविद्यालय भी नैनो तकनीक की दिशा में शोधरत हैं. 




No comments: