बिहार की राजनीति में बड़ा गेम होता इससे पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति की शतरंज पर एक तीर से तीन शिकार कर डाले जिसके बाद बीजेपी बिहार में औंधे मुंह जा गिरी।
बीजेपी ने कहां तो यह सोचा था कि आरसीपी सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर वह महाराष्ट्र की तर्ज पर बिहार को जीत लेगी,
लेकिन नीतीश कुमार ने उससे पहले आरसीपी
सिंह के भ्रष्टाचार के सबूत देकर न सिर्फ आरसीपी सिंह पर शिकंजा कसा बल्कि उनका
बंगला भी खाली करवाकर उनका एक तरह से राजनीतिक करियर भी खत्म कर दिया। दूसरी ओर इस
कदम से बीजेपी के ऑपरेशन लोटस पर नीतीश कुमार रोक लगाने में कामयाब तो हुए ही साथ
ही तीसरा सबसे बड़ा कदम उनका 2024 के लिए एक तरह से विपक्ष को खड़ा कर देना का भी
रहा। अब आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिलकर बिहार में
सत्ता पर काबिज होने का फैसला कर लिया है।
इससे पहले नीतीश कुमार को समझाने की कोशिश भी गृह मंत्री
अमित शाह ने की, लेकिन पिछले दिनों बिहार
में जेपी नड्डा के दौरे के दौरान उनके द्वारा दिये गए भाषण, सूबे
के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुभ गए। जेपी नड्डा ने
साफ कहा कि बिहार में सिर्फ बीजेपी ही विकल्प है। क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व
अब खत्म हो चला है और जो 20 साल पुरानी पार्टी के सदस्य रहे आज वह बीजेपी के साथ
है। यह बात सीएम नीतीश कुमार को इस तरह नागवार गुजरी कि बीजेपी की टॉप लीडरशिप भी
नीतीश कुमार को समझा नहीं पायी और ऑपरेशन लोटस के शुरू होने से पहले ही नीतीश
कुमार ने इस ऑपरेशन को अपनी राजनीतिक सूझबूझ से बूट तले रौंद दिया।
अब आपको बिहार की सत्ता के समीकरण को भी बताते चले। बिहार
में 243 विधानसभा की सीटें हैं जिसमें से आरजेडी के खाते में 79 बीजेपी के खाते 77
और जेडीयू के खाते में 45 सीटें हैं। इसी तरह से कांग्रेस के खाते में 19 लेफ्ट के
खाते में 16 हम के हिस्से में 4 और एक निर्दलीय उम्मीदवार है वहीं, एक सीट खाली भी है। कुल मिलाकर देखा जाए तो
स्थिति बहुत कुछ ऐसी है कि बगैर किसी मेल मिलाप के किसी भी पार्टी की सरकार बिहार
में बनती नहीं दिखती।
पिछले 6 महीने से भी ज्यादा समय से नीतीश कुमार बीजेपी के
साथ गठबंधन में घुटन महसूस कर रहे थे। नीतीश कुमार जिन्होंने बिहार की सत्ता पर
सात बार कब्जा जमाया है और इसबार आठवीं बार सूबे के मुख्यमंत्री की शपथ लेंगे वह
नीतीश कुमार राजनीति में ऐसी पैंठ रखते हैं कि सत्ता बिहार में या केन्द्र में
किसी की भी रही हो, लेकिन नीतीश पिछले तीन
दशक से सत्ता की धुरी बने रहे।
बिहार में जब लालू प्रसाद यादब की सरकार थी तब केन्द्र में
यूपीए सरकार में नीतीश कुमार रेल मंत्री रहे। बिहार की बात की जाए तो मौजूदा समय
में बीजेपी से नाता तोड़ने के बाद अब जेडीयू कांग्रेस, आरजेडी के साथ सरकार बना रही है। ऐसे में
यह तय है कि बिहार में अब नये राजनीतिक समीकरण तैयार होंगे और कहा यह भी जाता है
कि उत्तर प्रदेश बिहार की राजनीति सत्ता की चाबी का निर्धारण भी करती है। देखना
दिलचस्प होगा आने वाले समय में बिहार की राजनीति में क्या कुछ बदलता है और क्या
कुछ होता है। फिलहाल बिहार के 8वें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हमारी ओर से बधाई।
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