Wednesday, September 22, 2010

सपनों के सौदागर



नोयडा एक्सटेंशन के नाम से धडल्ले से बिक रही है ग्रेटर नोयडा की जमीन। वहीं जमीन जिसपर ग्रेटर नोयडा प्राधिकरण और किसानों के बीच मामला अदालत में है। किसानों ने अभी तक इस जमीन पर प्राधिकरण को अधिकरण नहीं दिया है। वहीं दूसरी ओर प्रोपर्टी बाजार से जुड़े कारोबारी इस बात का जमकर फायदा उठा रहे हैं। वह ग्राहकों को बरगला रहे हैं और धोखे से उन्हें नोयडा एक्सटेंशन के नाम जमीन और फ्लैट बेच रहे हैं। इसका एक कारण ये भी है कि दिल्ली, गुड़गांव और बाहर के लोग जो दिल्ली के आसपास के इलाके में रहना चाहते हैं उनके लिए ग्रेटर नोयडा बेहद खुबसूरत इलाका है। प्रोपर्टी का काम करने वाले दलाल और बिल्डर इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं और उन्हें इस बात का अंदाजा भी है कि ये बेहद बढ़िया लोकेशन है जहां आकार ग्राहक फंसता ही है।
इसी बात का फायदा उठाकर यहां के दलाल ग्राहकों को फंसा रहे हैं। वह नये नये प्रोजेक्ट ग्राहकों को दिखाते हैं उन्हें मंहगी गाड़ियों में लोकेशन पर लेकर जाते हैं और उन्हें गलत तरीके से जानकारी देकर पहले एक मुश्त बयाना राशी या फिर एडवांस बुकिंग के नाम पर मोटा पैसा ऐठते हैं। एक बार ग्राहक जब इनकी पहुंच में जाता है तो उसे निर्माण के लिए समय देते हैं। ये ग्राहकों से कहते हैं कि प्रोजेक्ट की कीमत एक हजार करोड़ रुपये हैं या छोटे दलाल कहते हैं कि प्रोजेक्ट की कीमत सौ करोड़ रुपये है। जैसे ही प्रोजेक्ट की कीमत हम बाजार से उठा लेंगे हम प्रोजेक्ट पर काम करना आरंभ कर देंगे। ये बहाना एक ऐसा बहाना है जिसका ओर है छोर है। क्योंकि ग्राहक कभी इस बात का अंदाजा ही नहीं लगा पाता कि उसके प्रोजेक्टर को कितना पैसा मिल गया है। ऐसे में ग्राहक अपने आपको ठगा से महसूस करता है और जब वह अपना पैसा वापस लेने की बात करता है तो या तो प्रोजेक्टर के ऑफिस पर ताला पाता है या फिर उसके फोन की घंटी तो बजती है लेकिन फिर कभी फोन उठता नहीं है।

No comments: