कहने के लिए कभी कभी हमारे पास शब्द नहीं होते और कभी माध्यम, लेकिन कहना तो है। क्योंकि मरना तय है और मरते वक्त दिल में कोई बात रह जाये तो फिर उस जीवन का मतलब ही क्या? इसलिए अपने दिल की बात कहो और अगर कोई न सुने तो शोर मचा कर कहो ताकि अंतिम समय दिल यहीं कहे कि अब बस बहुत हुआ अब शांत हो जाओ।
Thursday, February 18, 2010
मेरे कॉलेज के साथी
ये मेरे कॉलेज के साथी है, इनमे से कुछ साथ है और कुछ बिछुड़ गए। लेकिन सभी की याद आज भी वैसे ही ताजा है।
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