हमारे बड़े भाई की दाढ़ी सफेद होती जा रही है, लेकिन भाई का दिल अभी बच्चा है जी हां थोड़ा कच्चा सा है। इसीलिए वह अपने ऑफिस में काम करने वाली लड़कियों की ओर आज भी उसी अंदाज में देखते हैं जैसे वह आज से 25 साल पहले देखा करते थे। हालांकि भाई 40 का आंकड़ा तो कभी का पार कर चुके लेकिन भाई का दिल है कि मानता ही नहीं। मानेगा भी कैसे आज भाई चैनल चला रहे हैं और जब ताकत हाथ में हो तो भला तिवारी जी की तरह बुढ़ापे में भी मजा लेने से क्यों चूका जाये। लेकिन भाई के साथ एक समस्या है कि भाई आज भी ‘ड’ को ‘र’ बोलते हैं और अंग्रेजी में भी हाथ तंग होने की बजह से कभी कॉपरेट माहौल से रूबरू नहीं हो पाये। हां भाई कोशिश खूब करते हैं और ब्लागर लिखने से लेकर मोबाइल पर जमकर एसएमएस भी करते हैं।
हाय.......... एक तो बढ़ती उम्र का तकाजा ऊपर से बच्चा दिल, नौकरी पत्रकारिता में आखिर आदमी करे तो करे क्या।
खैर भाई के अरमान आंसूओं के रूप में जगह बदल बदल कर निकलते हैं और भाई दिनपर दिन अपनी सफेद दाढ़ी को देखकर रोते हैं।
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